सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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साहस पौरुष बल है मेरा
झुकना कभी न जाना,
आगे-आगे चला सदा ही-
मुश्किल कुछ नहीं, माना।
इच्छा-शक्ति न मरने देना
यही गुरु से मिली है शिक्षा,
हाथ नहीं हैं फैलाने को-
नहीं माँगना किसी से भिक्षा।
सुनी सदा अपने अन्तर की
हिम्मत उसने सदा बढ़ायी,
पल-पल मुझे सहारा देकर-
जीत मुझे हर बार दिलायी।
हाथ से साध निशाना अच्छा,
तीरंदाज़ी सब कर लेते।
एक निशाना तय करने पर-
ईश्वर भी सम्बल दे देते॥