सुषमा मलिक
रोहतक (हरियाणा)
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खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का,झूठ-फरेब का चला दौर है,
सच्चाई को दबाने को,झूठी खबरों का सोशल साइट पर शोर है।
अपनी गलती ढंकने को लोग,दूसरों पर झूठे इल्जाम लगाते हैं,
घर की बहन-बेटियों को,हथियार बनाने से भी नहीं कतराते हैं।
जिस थाली में खाया उसी में छेद,फिर दूसरों को साँप बताते हैं,
वक़्त आता जब सामने आने का,तो किसी बिल में छिप जाते हैं।
चिल्लाने से गलती नहीं ढंकती,भले ही लोग कितने मुँहजोर हैं,
खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का,झूठ-फरेब का चला दौर है॥
करो इंतजार वक़्त का प्यारे,भगवान की लाठी में आवाज नहीं,
निकल पड़े थे वो गायक बनने को,जिनके पास सुर-साज नही।
कल ना जाने कि क्या होगा,जो आँख खुली उनकी आज नहीं,
‘मलिक’ ने आँखों देखा लिख दिया,इस बात में कोई राज नहीं।
काले कारनामे किये जिन्होंने,अंधेरों से भरी उनकी भोर है,
खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का,झूठ-फरेब का चला दौर है॥
परिचय : रोहतक निवासी सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक स्थित शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक का कार्यक्षेत्र विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल का है। आप सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं निरन्तर आती रहती हैं। उत्तर प्रदेश की प्रमुख साहित्यिक संस्था सहित अन्य संस्थाओं ने भी आपको सम्मानित किया है। आपकी दृष्टि से लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।