अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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‘पहलगाम’,
असहाय निर्दोष
आतंकी हमला किया,
कायरता-बुजदिली
चीख।
‘पहलगाम’,
था अमन
आँखों में सुकून,
स्वर्ग कश्मीर
बर्बरता।
‘पहलगाम’,
क्या किया ?
आतंकी अमन चुभा,
इंसानियत हत्यारे
अमानवीयता।
‘पहलगाम’,
डरपोक दुश्मन
बरसा गए गोलियाँ,
करो सामना
सेना।
‘पहलगाम’,
लड़ो सामने
आओ मैदान में,
दिखाएंगे वीरता
मौत।
‘पहलगाम’,
आतंकवाद-हिंसा
अरे छोड़ दो,
क्या हासिल ?
बर्बादी।
‘पहलगाम’,
इंसानियत शर्मसार
सैलानियों पर वार,
उजड़ा सिंदूर
जीवन।
‘पहलगाम’,
कब तक
ऐसे हमले सहेंगे ?
चुप रहेंगे ?
कत्लेआम।
‘पहलगाम’,
आतंकी घटना
अमन-चैन दुश्मनी,
रोयी वादियाँ
संसार।
‘पहलगाम’,
नदियाँ दुखी
बही खून धारा,
रोए पहाड़
हैवानियत।
‘पहलगाम’,
देश पहले
सबक सिखाना होगा।
आतंक मिटाना,
प्रतिकार॥