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तकनीकी हो, पर प्रेम न हो कम

दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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चिट्ठी-पाती हुई बात पुरानी,
मोबाइल जब से हाथ में आया
व्हाट्सएप-मेल से भेजो संदेश,
डिजिटल का दौर अब आया…।

मिलने-जुलने की रीत नहीं अब,
वीडियो कॉल से काम चलाते
सलाह-मशविरे ग्रुप चैटिंग पर,
डिजिटल का दौर अब आया…।

बाजार जाकर क्यों समय गंवाए,
ऑनलाइन समान मंगवाएं
गूगल बाबा से पूछें हर बात,
डिजिटल का दौर अब आया…।

मन के भाव अब कहें इमोजी,
एफबी पर शेयर अब फीलिंग होती
स्टेटस पर दिल का हाल बताया,
डिजिटल का दौर अब आया…।

बच्चे भी स्मार्ट आजकल,
गेम्स-ऐप के साए में बचपन
किताबों की जगह लैपटॉप हाथ में,
डिजिटल का दौर अब आया…।

ऑनलाइन अब हुई पढ़ाई,
प्रश्न-पत्र की होती लिंक शेयर
शिक्षक पढ़ाते स्मार्ट बोर्ड पर,
डिजिटल का दौर अब आया…।

त्योहारों की बदली रौनक,
शुभकामनाएं हैं व्हाट्सएप पर
मोबाइल पर मानते सब त्यौहार,
डिजिटल का दौर अब आया…।

संतुलन हर दौर की जरूरत,
तकनीकी हो पर प्रेम न हो कम।
तभी गर्व से हम कह सकेंगे,
डिजिटल का दौर अब आया…॥