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तड़प…

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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आजकल,
मेरी साँसों के तार
झनझनाने लगे हैं,
न जाने कौन!
मेरे अरमानों को,
सुलगाने लगे हैं।

घर है,
परिवार है
सारा संसार है,
फिर भी न जाने क्यों!
दिल तलबगार है।

एहसास है,
दिल के पास है
अपना कोई खास है,
हृदय में विश्वास है।

कोई तो है,
जिसके लिए तड़प है।
ईश्वर तत्व,
या फिर अस्तित्व…॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।