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तनिक न रखते ध्यान

रश्मि लहर
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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औरों की श्री कीर्ति का, तनिक न रखते ध्यान।
फिर कैसे उनको मिले, मान और सम्मान॥

संस्कृति निर्वसना हुई, उच्छृंखल परिवेश।
ऐसा पहले था नहीं, अपना भारत देश॥

औरों की आलोचना, करते हैं भरपूर।
रखकर अपने-आपसे, वे दर्पण को दूर॥

बच्चे जब से जा बसे, सात समुंदर पार।
पूछो मत माँ-बाप के, दुख का पारावार॥