डॉ. मुकेश ‘असीमित’
गंगापुर सिटी (राजस्थान)
********************************************
“जरा बच के चलो, कितनी बार कहा है, चौराहे के बीच से न चला करो!” ये शब्द मेरे कानों में लगभग रोज ही पड़ते हैं, जब मैं मॉर्निंग वॉक पर होता हूँ, मेरे पीछे ही चौकस निगाहों से मेरे वॉक की निगरानी करती हुई लगभग अपने- आपको घसीटते हुई श्रीमती जी मुझे टोक ही देती हैं। हमारे घूमने की सड़क के बीच का एक चौराहा, जिसका वैसे तो कोई आधिकारिक नाम नहीं दिया गया है, लेकिन हमने उसका नाम ‘तांत्रिक चौराहा’ रख दिया है। सारे शहर के भूत-प्रेत, व्याधि-टोटके, यंत्र-तंत्र की साधना करने का एकमात्र स्थान ! जिस प्रकार से शहरवासियों ने इस रेलवे कॉलोनी को अनाधिकृत रूप से मॉर्निंग वाक का परेड ग्राउंड बनाया है, c उसी तरह इस चौराहे को इन सभी साधनाओं के लिए अधिकृत कर लिया है ! वैसे भी लगता है ये चौराहा बनाते वक्त शायद कुछ ऐसा ही खडूस विचार आया होगा, क्योंकि रात को यहाँ कोई यातायात नहीं रहता, कोई आपत्ति करने वाला नहीं है, इसलिए ये टोने-टोटके की प्रक्रिया करने वालों के लिए ही मानो ये चौराहा उनकी कर्मभूमि हो। आस-पास कोई घर नहीं, थोड़े बहुत इसके दूर-दूर घर दिखते भी हैं, तो चौराहे से बहुत दूर। रविवार की सुबह या बुधवार की सुबह तो निश्चित ही ये चौराहा सुबह-सुबह, कुछ लाल सिंदूर से आधा भरा हुआ और पूरा सना हुआ कटोरा, लाल-पीले से सिन्दूर से सने कपड़े, आटे की कुछ गोलियाँ, डरावने से फूल, नाग की तरह कुण्डली मार के बैठी हुई कुछ फूल मालाएं, राक्षसी जैसी शक्ल के कुछ मांडने चिपकाए हुए नारियल आदि से सजा हुआ एक अलग ही छटा बिखेरे होता है।
हमारे देश की परंपराओं में हर किसी व्याधि, बीमारी, रोग, परेशानी का एकमात्र कारण भूत-प्रेत की व्याधि, बुरी नजर या किसी अतृप्त आत्मा का साया होता है। यूँ तो इन्हें दूर करने के अनगिनत उपायों को लेकर अलग-अलग उद्योग विकसित हो गए हैं, कोई देवता की राख-भभूत लगाकर, कोई पंडित जी से अनुष्ठान करवा कर, कोई अपने पारिवारिक देवताओं की सवामनी आयोजन करके इन कष्टों को दूर करना चाहता है। चिकित्सक की दवाई भी तभी काम करेगी, जब इन व्याधियों की बुरी नज़र हटेगी। इसमें झाड़-फूँक तो दिन के उजाले में भी हो जाता है, लेकिन टोना-टोटका, एक ऐसा काम जो रात के अंधेरे में ही होता है। कारण, व्याधि देने वाले भूत-प्रेत, अतृप्त आत्मा को विशेष आह्वान पर आमंत्रित किया जाता है, उसे घर से निकाला जाता है और बीच चौराहे पर छोड़ दिया जाता है। यहाँ ये इंतजार करता है कोई आकर उसे ठोकर मारे और ये ‘आ बैल मुझे मार’ के भाव से उससे चिपक ले। कई बार तांत्रिक, अघोरी इन अनुष्ठानों को करते वक्त पकड़े जाने पर सार्वजनिक रूप से पीटे भी गए हैं, इसलिए ये काम बहुत ही छुप-छुपाकर करना पड़ता है। कई तांत्रिकों की कहानी सामने आती है, जिन्होंने इसी तरह श्मशान घाट पर जाकर कुछ काल-कपाल क्रियाएं की है और पता लगने पर लोगों ने उनकी जीते-जी कपाल क्रिया कर दी है !
खैर, हुआ यूँ कि एक बार हम मस्ती से वॉक पर जा रहे थे, कान में ध्वनि विस्तारक यंत्र के गुटके, मेरा मतलब ईयरफोन घुसा रखे थे, कि हमारा पैर एकदम एक मिट्टी के छोटे से घड़े से टकराया और वह लुढ़कता हुआ दूर जाकर पड़ा। मेरी श्रीमती जी पीछे से आ रही थीं, मेरी इस आकस्मिक मुठभेड़ से सहम कर एकदम सन्नाटे में आ गईं। मुझे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उसके बाद पता नहीं क्यों श्रीमती जी को मैं बदला-बदला नजर आया। उनके हिसाब से मेरे अंदर कोई और आत्मा प्रवेश कर चुकी थी, वो मेरी हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने लगीं। उन्हें मेरा हँसना, बोलना, खाना, पीना, बैठना, चलना सब अजीब लगने लगा, ऐसा लगने लगा कि जैसे उनका पति बदल गया। यूँ तो ये सुनते-सुनते मेरी आधी जिंदगी निकल चुकी है कि तुम अब पहले जैसे नहीं रहे। हालाँकि, मेरे को बदलने में मेरी श्रीमती जी का ही हाथ रहा है लेकिन इस दोषारोपण की हिम्मत भी मेरी नहीं थी, लेकिन अब तो उनकी नजर में मैं बिल्कुल ही एक्सचेंज हो गया हूँ, जैसे कि उनका असली पति चौराहे पर कहीं छूट गया और कोई दूसरा पति तांत्रिक चौराहे के घड़े से निकलकर आज घर आ गया है। उसके बाद से मेरे गले में ताबीज लटक गया, झाड़-फूँक का सिलसिला शुरू हो गया। टोने-टोटके की बौछार मेरे ऊपर होने लगी, मुझे कई दिन तक सघन निगरानी में रखा जाने लगा! एक दिन मेरा होल बॉडी निरीक्षण करवाने के लिए एक पहुँचे हुए तांत्रिक को बुलाया गया, और जब उसने मेरे ओरिजिनल पति होने का प्रमाण-पत्र दे दिया, तब जाकर श्रीमती जी के अन्दर बैठा भूत बाहर निकला। उसके बाद से इस चौराहे पर आते ही एकदम बॉर्डर के सैनिक की तरह सतर्क हो जाता हूँ, पीछे श्रीमती जी सैनिक कमांडर की तरह मुझे निर्देश देती ही रहती है ! अब जैसे ही इस चौराहे से गुजरता हूँ, तो किसी और के चिपक जाने का अंदेशा बना रहता है। मेरे दोस्तों को भी बता चुका हूँ, भाई जरा संभल के चलना, तांत्रिक चौराहा है बच के चलना…।