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तितली का संदेश

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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पर्यावरण दिवस विशेष….

तितली रानी,तितली रानी,
क्यों जल्दी उठती हो ?
सुबह-सवेरे झोला लेकर,
कहां निकलती हो ?
आँखों पे चश्मा,मुँह पर मास्क,
क्यों पहनती हो ?
सुबह सवेरे झोला लेकर
कहां निकलती हो…?

तितली बोली-दुखी कर दिया
है इन्सानों ने।
काट दिए हैं जंगल सारे
इन नादानों ने।
झोले में पौधे ले जाकर,
उन्हें लगाती हूँ।
सुबह-सवेरे झोला लेकर,
इसलिए निकलती हूँ।

कांक्रीट के भवन खड़े,
वातावरण प्रदूषित है।
पशु-पक्षी को छाँव नहीं,
जल भी दूषित है।
पर्यावरण बचाओ ये,
जन-जन को कहती हूँ।
सुबह सवेरे झोला लेकर,
यूँ निकलती हूँ।

मेरे बच्चों! रोजाना एक,
पेड़ लगाओगे।
पशु-पक्षी और धरा को
तुम ही बचाओगे।
रक्षक बनो प्रकृति के,
उम्मीद ये करती हूँ।
आओ! कल तुम्हारे साथ,
झोला ले निकलती हूँ॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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