दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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सिंदूर बिंदिया की चमक है तुमसे,
चूड़ी की खनक तुम्हीं से है
मंगलसूत्र की दमक है तुमसे,
मेहंदी की लाली तुमसे है।
तुमसे जुड़ा सौभाग्य है मेरा,
तुम्हीं बसे मन मंदिर में
बिछिया-महावर की शान हो तुम,
सोलह श्रृंगार तुम्हीं से है।
करके मैं सोलह श्रृंगार,
अमर सौभाग्य की करूं कामना
करवा में जल मन में तरंग प्रीत की,
मेरी सब खुशियाँ तुमसे हैं।
दीर्घायु निरोगी हो आपका जीवन,
आज ईश्वर से यह वर मांगूं
मेरी हर पूजा, व्रत, श्रृंगार,
हर रात चाँदनी तुमसे है।
करवाचौथ का यह व्रत मेरा,
सिर्फ रिवाज नहीं, एहसास है।
हर साँस में नाम तुम्हारा है,
मेरे जीवन की पूर्णता तुमसे है॥