दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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चाहे खुशियाँ हों या ग़म,
सदा रहेंगे हम संग-संग
छोड़ कर मुझे जाना नहीं,
तुम बिन न रह पाएंगे हम।
बस इतना तुम जान लो,
तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥
चाहे रात अंधेरी हो,
या हो पूनम की चाँदनी
तुम अगर साथ हो,
मुश्किलों से उबर जाएंगे हम।
बस इतना तुम जान लो,
तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥
जीवन की इन राहों पर,
फूल मिलें या काँटे हों
जीवन की हर राह पर,
संग रखेंगे हम कदम।
बस इतना तुम जान लो,
तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥
प्रेम की खुशबू से महकते,
चंद अल्फ़ाज़ लिखे हैं तुम्हारे लिए
स्वीकार करो इन्हें प्रियवर,
मन के भाव समझ लो तुम।
बस इतना तुम जान लो,
तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥