संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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एक लहर हूँ,
तुम मिलो तो किनारा बन जाऊँ…
एक मझधार हूँ,
तुम मिलो तो पत्थर बन जाऊँ…।
एक लम्हा हूँ,
तुम मिलो तो दास्ताँ लिख जाऊँ…
एक हवा का झोंका हूँ,
तुम मिलो तो तूफ़ान बन जाऊँ…।
एक बारिश की बूँद हूँ,
तुम मिलो तो सैलाब बन जाऊँ…
कुछ ओस की बूँदें हूँ,
तुम मिलो तो जलधारा बन जाऊँ…।
तुम बिन रंक हूँ मैं,
तुम मिलो तो राजा बन जाऊँ…
एक अकेला ही चला हूँ ज़िंदगी के सफ़र में,
तुम मिलो तो कारवां बन जाऊँ…।
तुम मिलो तो सही,
खुद को मोहब्बत में लुटा दूँ…।
गर तुम ना मिले तो,
फ़क़ीर बनकर रह जाऊँ…!!