कुल पृष्ठ दर्शन : 82

You are currently viewing तुम… वास्तव में…

तुम… वास्तव में…

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
******************************************

कोई फर्क नहीं पड़ता,
कितनी ऊँचे लोगों से
पहचान है तुम्हारी,
कोई फर्क नहीं पड़ता
कितनी दौलत के तुम,
मालिक हो।

ये जो शेखियाँ,
तुम बघारते हो न!
सब जानती हूँ,
पर मुस्करा देती हूँ
क्योंकि,
मैं जब झांकती हूँ
तुम्हारे अंदर,
एक इंसान दिखता है मुझे
जो चाहता है प्रेम देना,
प्रेम से रहना
पर, ये जो लोग हैं न,
वो इस्तेमाल करते हैं तुम्हारा
सिर्फ अपने फायदे के लिए।
और तुम्हें,
वो बनना पड़ता है
जो तुम वास्तव में नहीं हो॥