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‘तृतीय लिंगी’ विमर्श पर केन्द्रित रचनाएँ आमंत्रित

काशी (उप्र)।

समाज में तृतीय लिंगी (हिजड़ा/खोजवा/किन्नर/समलैंगिक आदि) व्यक्ति को बड़े ही आश्चर्य से देखने और उनको अलग मानने की प्रथा-सी चल चुकी है। सभी को उन्हें समझने, उनके दुःख-दर्द को बाँटने की मुहिम का हिस्सा बनने के उद्देश्य के लिए ‘भाषाघर’ पत्रिका का अगला अंक ‘तृतीयलिंगी’ विमर्श पर केन्द्रित है। अतः इस पर सभी से १० मई तक रचनाएँ आमंत्रित हैं।

विशेषांक के सम्पादक (भाषाघर) उज्जवल कुमार सिंह ने बताया कि, इस शैक्षिक अभियान में साझेदारी हेतु सभी से वर्णित विषय पर कविता, कहानी, लघुकथा, शोध आलेख और पुस्तक समीक्षा साक्षात्कार सहित किसी भी अन्य साहित्यिक विधा में हिन्दी-अंग्रेजी भाषा में आमंत्रित हैं। योजना है कि, आगे गुणवत्तापूर्ण साहित्यिक रचनाओं का प्रकाशन पुस्तक के रूप में भी किया जाए। रचनाएँ (टेक्स्ट या वर्ड फाईल में ही स्वीकार्य) ई-मेल (bha shagharmgkvp@gmail.com) व व्हाट्सएप्प (८४० ००४८४९६) से भी भेज सकते हैं।