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तेरा कन्धा ही मेरा सहारा

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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मित्रता-ज़िंदगी….

तेरा-मेरा सम्बंध ख़ून का नहीं,
फिर भी तू मुझे प्यारा लगे
तेरे साथ दुनियाभर की बातें करूँ,
फिर भी मेरा मन न भरे।

तेरे साथ छोटी-सी बात पर ठहाके मारूँ,
फिर भी मुझे और हँसते रहने का मन करे
जब भी मेरा मन रोने को चाहे,
तेरा कंधा ही मेरा क़रीबी सहारा लगे।

जब भी मेरा मन उदास हो जाए,
तू क़रीब ना हो कर भी मेरे पास आ जाए
ऐसा एक तू दोस्ती का जादूगर है,
जो मेरी बेजान जिंदगी में जान डाले।

जब मेरी बात कोई ना सुने,
आधी रात को भी मेरी केवल तू ही सुने
जब तेरे साथ बिताए पल मैं याद करूँ,
मेरा चेहरा अपने-आप मुस्कान से भरे।

सालों बाद मिलने पर भी कोई शिकवा ना हो,
तुझे देखते ही मेरा मन झूम उठे
किसी से बात करने का जब भी मन करे,
एक तेरा ही नाम मेरे ज़हन में उभरे।

दूर रहते हुए भी जिसके साथ मेरे,
जीवन में सुख-दु:ख में साथ देने वाले
मेरे दोषों को समझकर सलाह देने वाले,
दुलार, स्नेह, प्यार और अपनापन देने वाले
तुम ही मेरे एक मित्र हो।

जिससे मेरे दिल के तार जुड़े,
वही तो तुम मेरे मित्र हो।
तुम ही ज़िंदगी का सबक हो,
तुम्हीं से ज़िंदगी, तुम्हीं से सीखी ज़िंदगी॥