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urmila-kumari

तेरी गलियाँ

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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तेरी गलियों में दीवाने घूमते हैं,

उन दीवानों में मैं भी घूमता हूँ

आज सूरज मध्यम सा दिखा है,

पूनम का चाँद दिलों में बसा है।

हर मोड़ पर तेरी परछाई दिखी है,

हर साँस में तेरा अक्स-सा छिपा है

माना एकतरफा मेरा प्यार यहाँ है,

मेरे दिल पर तेरे लिए प्यार उमड़ा है।

लाखों दीवानों ने तेरी सुंदरता देखी है,

लाखों लोगों ने सुंदरता ऊपरी देखी है 

तुझे पाने की होड़ में खुद को भूले हैं,

पर मैंने तेरे मन की भावना को चाहा है।

तेरी गली की उस खिड़की पर तुझे  मैं,

अंखियों के झरोखे से जब देखा था मैं

बस गई हो मेरे जिस्म के हर कोने में,

रातों की नींद दिन का चैन बन गई हो।

तेरी यादों से मैंने अपना नाता जोड़ा है,

दिल से प्यार करता हूँ तुझे ही पाना है

तू रूठे तो मैं मना लूंगा सदैव ही यहाँ,

पागलों की तरह तुझे ही प्यार करूंगा।

‘उर’ यह मानता नहीं कि तूने चाहा है,

मंजिल भटकता-सा मैं एक मुसाफिर।

आज तेरी चौखट पर दीवाना खड़ा है,

तेरी गलियाँ अब हमसे ही रौशन हुई है॥