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तेरी नींद न होगी कभी पूरी

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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तेरी नींद न होगी कभी पूरी,
तू भर-भर सोया करे
प्रभु नाम से है मन में उजाला,
अंधेरे में क्यों खोया करे।

शुभ कर्मों से मनुज तन पाया,
बिन सुमिरन इसे यूँ ही गंवाया
घटे ज़िन्दगी बढ़े प्रभु से दूरी,
क्यों भर-भर सोया करे…।

सपनों में जागे रे, जागते में सोए,
दु:ख आ जाए तो फूट-फूट रोए
चौबीस घंटे में दस मिनट सुमिरन,
क्यों भर-भर सोया करे…।

माया के जाल में तू जन्मों से भटका,
हर बार काल आए, साँस रहे अटका
सेवा-सत्संग से कुछ ना तुझे लेना,
क्यों भर-भर सोया करे…।

यह जीवन सारा है कर्मों का फेरा,
यह सारी दुनिया है रैन-बसेरा
कब जागेगा नादां मुसाफिर,
क्यों भर-भर सोया करे…।

माया को जोड़ो, फिर उसको छोड़ो,
मोह के सब बंधन बार‌-बार तोड़ो
यही जन्मों-जन्म का तमाशा,
क्यों भर-भर सोया करे…।

तेरी नींद न होगी कभी पूरी,
तू भर-भर सोया करे।
प्रभु नाम से है मन में उजाला,
अंधेरे में क्यों खोया करे…॥