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तेरे बिन जिया न लगे

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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तू मेरा आसमां है, तू मेरा है जुनून,
तेरे बिना जिया न लगे, कैसा जुनून ?

आत्मा का दिल से यह मधुर मिलन,
यादें तेरी घुली है जैसे दूध जल मिलन।

खामोश निगाहें तुझसे पूछ रही प्रश्न,
अब के बिछड़ों का फिर कब है मिलन!

रोम-रोम प्यार बसाकर, छोड़ चल दिए,
‘आऊंगा जरूर पुनः’ कह चल फिर दिए।

जाते-जाते हर लम्हा अँखियाँ भर गई,
तेरी यादों के पन्ने देख कर सुबह हुई।

कैसे बीतेगा यह समां रोते दिन कटे,
एक-एक पल गुजारना सालों-सा लगे।

आजा हरजाई अब और देर न लगा,
तन्हा दिन कटता नहीं, सूना-सा लगा।

उदासी चहरे पर छाई, रंगत सब उड़ी,
मेरे सौभाग्य की, अब तो हवाई उड़ी।

आशिक तू मेरा बनकर, पति बन गए,
पति परमेश्वर अब तुम क्यों दूर गए!

नौकरी यहाँ भी मिल जाए बहाना करे,
दिल की आरज़ू है हम सदैव साथ रहें।

‘उर’ की आवाज सुन दौड़े चले आओ,
बाँहों में भरकर मुझसे प्यार तुम पाओ॥