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तो तुम्हें शून्यता…

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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जो भी गड़बड़ी है जीवन में,
उसे धीरे-धीरे सुलझाएं
जो भी बुरा है आसपास में,
उसे धीरे-धीरे सुलझाएं
जो भी दुख से भारी हो,
उसे धीरे-धीरे नीचे रखें
जो भी लंबित कार्य है,
उसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करें।

जो कठिन है, पहले उसे करें,
वह आसान हो जाएगा
जो आसान है उसे भी करें,
उसमें लापरवाही नादानी होगी।

जो भी निर्णय हो,
निर्णायक होना चाहिए
जो भी मिल सके आसानी से,
उसकी ख्वाहिश ना करें
जिद तो उसकी करें,
जो मुकद्दर में नहीं है।

यह जान लें, कि
खुशी स्थाई नहीं है।
सब कुछ जानना,
सही नहीं और जरुरी नहीं,

अच्छा या बुरा दोनों,
धारणा से परे कुछ भी नहीं
स्वयं को जानें और,
दुःख से मुक्त हो जाएँ।
जब उसका अंत जानोगे,
तो तुम्हें हर एक चीज में
शून्यता नजर आएगी,
शून्यता नजर आएगी॥