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थिरके नर-नार

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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रंग बरसे… (होली विशेष)…

आया होली का त्योहार,
छाया सबपे खुमार
लेकर रंग गुलाल,
देखो आए नंदलाल।

संग लेकर ग्वाल-बाल,
पहुंचे राधा के द्वार
करने मस्ती अपार,
सुंदर है यह त्योहार।

लेकर हरा-गुलाबी रंग,
राधा आई गोपियों संग
करने रंगों की बौछार,
आज कान्हा आए द्वार।

बजने लगे ढोल-नगाड़,
उसपे थिरके नर-नार
भाईचारे की मिसाल,
बना होली का त्योहार।

उड़े रंगों की फुहार,
चले वसंती बयार।
मिटा के समस्त विकार,
करें प्रेम का व्यापार॥