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दास्तां अब हम लहू से

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’
बारां (राजस्थान)
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दास्तां अब हम लहू से,लिख रहे हैं किसकी।
तस्वीर हम अपने लहू से,बना रहे हैं किसकी॥
दास्तां अब हम लहू से…

क्यों हमको चैन नहीं है,हसरत क्या है अब बाकी,
यह धुंआ क्यों उठ रहा है,नफरत क्यों है अब बाकी।
जिंदगी अब हम लहू से,सजा रहे हैं किसकी,
दास्तां अब हम लहू से…॥

टुकड़े क्यों इस जमीं के,कर रहे हैं हम यारों,
अपने खुदा को क्यों हम,बांट रहे हैं यारों।
करके लहू हम यूँ,मंजिल जा रहे है किसकी,
दास्तां अब हम लहू से…॥

अश्क भरकर आँखों में,करो याद उनको जरा तुम,
जिनकी बलिदानी के दम पर,’जी आजाद’ है आज हम।
अब आजादी हम लहू से,यहाँ चाह रहे हैं किसकी,
दास्तां अब हम लहू से…॥

परिचय- गुरुदीन वर्मा का उपनाम जी आज़ाद है। सरकारी शिक्षक श्री वर्मा राजस्थान के सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा स्थित विद्यालय में पदस्थ हैं। स्थाई पता जिला-बारां (राजस्थान) है। आपकी शिक्षा स्नातक(बीए)व प्रशिक्षण (एसटीसी) है।इनकी रूचि शिक्षण,लेखन,संगीत व भ्रमण में है। साहित्यिक गतिविधि में सक्रिय जी आजाद अनेक साहित्य पटल पर ऑनलाइन काव्य पाठ कर चुके हैं तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्रकाशित पुस्तक ‘मेरी मुहब्बत’ साहित्य खाते में है तो कुछ पुस्तक प्रकाशन में हैं।