बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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जीवन के रंग (मकर संक्रांति विशेष)….
पौष मास में सूर्य जब,करता मकर प्रवेश।
तभी मने संक्रांति हैं,पूजन करें दिनेश॥
प्रातः उठकर स्नान कर,रक्त पुष्प ले हाथ।
लोटा पानी अर्घ्य दे,चन्दन अक्षत साथ॥
स्नान दान अरु पुण्य से,होता है कल्याण।
प्रमुख पर्व होता यही,शुद्ध होत है प्राण॥
भगवत गीता पाठ कर,कम्बल तिल घी दान।
करते जो भी भक्त हैं,खुश होते भगवान॥
इस दिन खिचड़ी खास है,सभी बनाते लोग।
सूर्य देव को भोर में,सभी लगाते भोग॥
सूर्य देव निज पुत्र शनि,हैं मिलते इस पर्व।
शुभ होते हर कार्य हैं,हमको होता गर्व॥
अगर कुंडली सूर्य है,या शनि का हो वास।
इस दिन पूजन कर्म से,मिलता है फल खास॥
सूर्य उत्तरायण इसे,कहते वेद पुराण।
उपासना जो भी करें,होता है कल्याण॥
नई फसल बेला यही,होते खुशी किसान।
तिल गुड़ की लड्डू सभी,बाँटे मित्र सुजान॥
परम्परा है देश की,सभी पतंग उड़ाय।
बच्चे-बूढ़े मिल सभी,मन में खुशी मनाय॥