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दिनकर नया उजाला लाया

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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नया उजाला-नए सपने…

खुली पलकें, सुबह हुई,
मन ताजगी से भर आया
देखो, इंद्रधनुषी छटा बिखेरे,
दिनकर नया उजाला लाया।

चंचल पवन बावरी बनी,
खुशी से मन भरमाया
चलो, आज कुछ नया करें,
नया साल फिर आया।

जीवन-मरण का चक्र जैसे,
इस धरा पर आए-जाए
नया साल भी देख जरा,
जा, जाकर पलट आए।

नए साल में बदल डालें,
हम अपनी सोंच पुरानी
प्रण कर, जीवन पथ पर,
लिख डालें, नई कहानी।

टटोल जरा अन्तर्मन तू,
मान ले दिल का कहना
दया-भाव, करुणा अपना,
जो है इन्सान का गहना।

सोंच जरा इस दुनिया में,
क्या लेकर हम हैं आए
छोटी-छोटी बातों पर फिर,
औरों का दिल क्यों दुखाएं।

छोड़ दो कल की बातें अब,
इर्ष्या-द्वैष मिट जाने दो
खोल मन की गाँठें अपनी,
बोझ हल्का हो जाने दो।

आएंगी नए साल में फिर,
नई-नई बड़ी चुनौतियाँ।
सोंच-विचार, बीते वर्ष में,
रह गई कौन-सी त्रुटियाँ॥