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दिल के रिश्ते

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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देखना एक दिन हम सब,
रिश्तों को सिर्फ ये सोच कर खो देंगे
कि वो मुझसे बात नहीं करता,
तो ठीक है मैं भी नहीं करूँगा।

जब तक अहंकार का त्याग नहीं होगा,
रिश्तों में मिठास नहीं होगी
और जब तक मिठास नहीं होगी,
मुलाकात भी कोई खास नहीं होगी।

बादल मंडराते बहुत हैं,
मंडराने से कभी बरसात नहीं होती
दिखावा करने वाले लोग भी,
अक्सर ऐसा ही किरदार निभाते हैं।

ऐसे लोग चापलूसी करते हैं,
यकीनन बहकाने का काम करते हैं
अफसोस इस बात का है कि,
अपने बहक भी जाते हैं।

घमंड में चूर अक्सर यही सोचते हैं,
कि मुझसे बड़ा कोई नहीं!
जबकि रिश्तों से बढ़कर,
कोई त्यौहार नहीं।

दिल के रिश्ते और दिखावे के रिश्तों में,
बड़ा फर्क होता है।
दिल के रिश्ते बड़े गहरे होते हैं,
दिखावे के रिश्ते सिर्फ सुनहरे होते हैं॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।