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दीए बेचते देखा है

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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जगमग जीवन ज्योति (दीपावली विशेष)…

शहर के एक नुक्कड़ पर,
एक औरत को दीए बेचते देखा है
तन पर लिपटे कपड़ों के बीच,
एक बच्चे को सिसकते देखा है।

मिट्टी के पके दीयों की तरह,
उसका भी पका चेहरा देखा है
कैसे होगा जीवन का गुजारा!
आँख से आँसू बहते देखा है।

तपतपाती धूप में उसको,
ग्राहकों के आगे पुकारते देखा है
कभी दीए तो कभी बच्चे को,
भीगी आँखों से निहारते देखा है।

नहीं हो जरुरत तो भी ले लेना,
गरीब को अक्सर दुआ देते देखा है
अपने परिवार की खातिर,
हर किसी के आगे लरजते देखा है।

एक-एक रुपए की खातिर,
उसको गिड़गिड़ाते देखा है।
हाँ, मैंने शहर के नुक्कड़ पर,
एक औरत को दीए बेचते देखा है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।