सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
**************************************
दीपक धीरे-धीरे जलना,
दीपक हौले-हौले जलना
दीपक तुमको तो जलना सारी रात,
दीपक दूर है करना अंधकार।
जीवन जब मन भटकाये,
राह कोई समझ न आये
अंतस का तम तुम हरना,
ज्योतिर्मय जीवन करना
रास्ता कठिन है कर स्वीकार,
दीपक सबको सिखाता बार-बार।
हिम्मत से आगे बढ़ना,
मुश्किल से तुम मत डरना
भटके जो राह दिखाना,
पथ पर तुम उनको लाना
तुममें है शक्ति का भंडार,
दीपक ज्योति का तू ही विस्तार।
सबको तुम यह बतलाना,
सबको तुम यह सिखलाना
तुमको है यदि कुछ पाना,
तप कर सोना हो जाना
जी भर करो तुम उपकार,
दीपक इसमें ही है जीवन का सार।
रस्ते मुश्किल होते हैं,
फिर भी हासिल होते हैं
अपनी राहों पर संग-संग,
अपनों के दिल होते हैं
बच कर तुम छल से रहना,
खुद अपना पथ तुम चुनना।
अपनी मंज़िल अपनी रफ़्तार,
दीपक सब पर लुटाना तुमको प्यार॥