ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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पर्व एक अद्भुत निराली…,
जगमग ज्योति भरी दीवाली…।
पकने को है अन्न की बाली…,
महानिशा की रजनी काली…
जिसे बनाया भारत भू ने…,
जगमग ज्योति भरी दीवाली।
धन स्वास्थ की देवी आली…,
बाँट रही सुख भर-भर थाली…
दीप सजा स्वागत में गाओ,
जगमग ज्योति भरी दिवाली।
नीली-पीली लगती लाली…,
चमकीली कुछ स्वर्ण रुपाली
चकरी फुलझड़ियाँ-पटाखें,
जगमग ज्योति भरी दीवाली।
दीप-दीप करते मुख वाली…,
मम्मी पूजा करती खाली…
बच्चे-बूढ़े युवा मनाते,
जगमग ज्योति भरी दीवाली।
वंदनवार सबने लगा ली…,
रंगोली भी देख सजा ली…।
पकवान बना मिष्टान्न बंटा,
जगमग ज्योति भरी दीवाली॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।