सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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कार्तिक मास अमावस आयी,
दीवाली ने धूम मचाई
घर-बाहर की करो सफ़ाई,
श्रम की चोरी करो न भाई।
गर्मी की अब करो बिदाई,
धूप सेंकती सर्दी आयी
कपड़े-गहने-बर्तन लाओ,
घर को अपने खूब सजाओ।
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति लाओ,
शारदा माँ को संग बिठाओ
फल-मेवा-मिष्ठान भी लाओ,
बड़े प्रेम से भोग लगाओ।
चहुँ दिशि सुंदर दीप जलाओ,
अँधियारे को दूर भगाओ
सकल सृष्टि को करो सुवासित,
नूतन आशा भरो आलोकित।
पर्यावरण को ध्यान में रखना,
नहीं प्रदूषित उसको करना
नहीं पटाखे ज़्यादा लाना,
फुलझड़ियाँ तुम खूब चलाना।
पाँच दिनों का पर्व ये होता,
धनतेरस से शुरू ये होता
चौदस फिर दीवाली का दिन,
भाई दूज को बिदा हो जाता।
बड़ा सुहाना पर्व दिवाली,
सबको हर्षित करे दिवाली।
नूतन आशा यह भर देती,
रोशन घर-आँगन कर देती॥