श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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क्या जानेगा यह जमाना,
दिल का दर्द किसे कहते हैं
जो आत्मा,दर्द से गुजरती है,
वही मानव दर्द को समझता है।
दिल का दर्द यदि दर्दनाक है,
दिल रोता हो तो सुख खाक है
दर्द नहीं जानेगा जालिम जमाना,
इन्हें आता है सदा दु:ख में फंसाना।
बेचारा बंजारा बताएगा,
दिल का दर्द ओ दिखाएगा
बैठा फुटपाथ का बंजारा कैसे,
करता है अपने पेट का गुजारा।
सुनो,ऊॅ॑ची दीवार के महल,
आवाज दे रही दर्द की ग़ज़ल
सखी ‘देवन्ती’ मिले तब पूछना,
अन्तर्मन का दर्द बताएगी सुनाना।
गरीबी,दु:ख किसे कहते हैं,
जा के अनाथ बच्चे से पूछना।
‘रोटी दो मुझे’ कटोरे में मांगते हैं,
अनाथ बच्चे जानते हैं पेट भरना॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।
