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‘दुनिया काठ की’ संवेदनाओं की रिक्तता को भरने का प्रयास

विमोचन…

इंदौर (मप्र)।

ज्योति जैन ने कविताओं का जो विषय चुना है वह समाज के यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं को बेहद गहराई से छूता है। लेखिका ने ऐसे विषयों को चुना, जो जीवन से गुम हो गए हैं। ‘दुनिया काठ की’ वर्तमान समय में संवेदनाओं की रिक्तता को भरने का प्रयास है।
मुख्य अतिथि डॉ. सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली) ने यह बात ‘वामा साहित्य मंच’ की अध्यक्ष एवं लेखिका ज्योति जैन के काव्य संग्रह ‘दुनिया काठ की’ (१७वीं पुस्तक) का जाल सभागृह (इंदौर) में विमोचन करते हुए कही। मीडिया प्रभारी सपना साहू ‘स्वप्निल’ ने बताया कि आपने लेखिका की रचनाएं ‘चौखट’, ‘बच्चों की लकड़ी’, ‘ओखली’ आदि से प्रस्तुत बिम्ब की प्रशंसा भी की।
प्रारम्भ में सरस्वती वंदना की मोहक प्रस्तुति दिव्या मण्डलोई और वाणी जोशी ने दी। वामा की संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेन्द्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। विमोचन पश्चात चर्चा सत्र में ज्योति जैन ने लेखन यात्रा और इस संग्रह की वैचारिक पृष्ठभूमि को साझा किया। आपने कहा कि आज भी लग रहा है कि वे कैलाश की यात्रा शुरू करने वाली हैं, उन्होंने जो भी लिखा है, लिखा तो उन्होंने ही है पर, लिखवाया किसने है यह पता नहीं, अब तक इतना लिख पाने को ईश्वर की कृपा बताया। अपनी कविता सूखी टहनियाँ, कठपुतली आदि का वाचन भी किया।
​विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध लेखक पंकज सुबीर ने संग्रह की भाषाई शुद्धता और प्रतीकों की प्रशंसा करते हुए इसे हिन्दी काव्य जगत की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। आज के युग में जब लोग नई तकनीकी से जुड़ चुके हैं और लकड़ी के महत्व को भूल रहे हैं, ऐसे में यह संग्रह पथप्रदर्शक बनेगा।
अतिथियों का स्वागत डाॅ. राकेश शर्मा और डाॅ. भरत रावत ने किया। संग्रह के प्रकाशन में सक्रिय भूमिका हेतु शहरयार जी का सम्मान स्वर्णिम माहेश्वरी व चेतन कुसुमाकर ने किया।
अतिथियों को स्मृति चिन्ह संजय पटेल और गरिमा दुबे ने भेंट किए। समारोह में दिग्गज साहित्यकार, सुधी पाठक, मंच की लेखिकाएं, गणमान्य नागरिक व साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समृद्ध संचालन स्मृति आदित्य ने किया। आभार शरद जैन ने व्यक्त किया।