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देश की रक्षा हेतु दी जान

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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२ अक्टूबर को जन्में देश के लाल,
नाम जिनका शास्त्री बहादुर लाल।

देश की रक्षा हेतु दे दी अपनी जान,
नारा दिया जय जवान जय किसान।

खाद्यान में जिसने बनाया देश को,
आत्मनिर्भर और सर्व शक्तिमान।

स्वभिमान था जिसमें कूट-कूट भरा,
मुफ्त में नहीं, जो नाव पर चढ़ा।

अभावों में उनका जीवन है गुजरा,
फिर भी उन्होंने नहीं छोड़ा लिखना-पढ़ना।

ठिगने कद के थे हमारे शास्त्री जी,
पर उनका मनोबल था बहुत ऊॅंचा जी।

पाकिस्तान को धूल चटाई उन्होंने,
१९६५ में जब युद्ध जीते शास्त्री जी।

देश के तीसरे प्रधानमंत्री शास्त्री जी,
सबके प्यारे प्रधान मंत्री थे शास्त्री जी।

जन्मदिन पर ‘दीनेश’ करता उन्हें नमन है,
उनका प्यारा भारत आज खिलता चमन है॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।