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धरती पर हमारे पिता ही ईश्वर का स्वरूप

सोनीपत (हरियाणा)।

ईश्वर पिता हैं और धरती पर हमारे पिता ही ईश्वर का साक्षात स्वरूप हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन में यह बात साहित्यकार बिनोद कुमार पाण्डेय (सिवान, बिहार) ने कही। मौका रहा सद साहित्य हेतु संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था की २०१वीं ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का। संस्था की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि इसमें पिता के प्रति सम्मान के साथ अहमदाबाद विमान दुर्घटना में प्राण गंवाने वाले दिवंगतों को काव्य नमन किया गया। अध्यक्ष ने मुक्तकण्ठ से आयोजन की प्रशंसा की। बिहार के भावकवि दुर्गादत्त मिश्र ‘बाबा’ के मुख्यातिथ्य और आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ नागपुर से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा गुरु वंदना के संगीतबद्ध गायन के साथ हुआ।
लद्दाख, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान आदि से जुड़े सृजनकारों की सहभागिता वाले आयोजन में विद्वान साहित्यकार सुनील कुमार खुराना के साझा काव्य संग्रह ‘प्रेमलता’ का विमोचन (साझा काव्य संग्रह-सम्पादन प्रेमलता कुमारी) किया गया।
कार्यक्रम में श्रीमती शालिनी बसेड़िया, अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’, श्रीमती ज्योति देशमुख, डॉ. जया शर्मा ‘प्रियंवदा’, सूरदास सीही, श्रीमती मेघा अग्रवाल, कु. मिहु अग्रवाल और नंदकिशोर बहुखंडी आदि ने बढ़िया काव्य पाठ किया।
पवनेश मिश्रा ने संचालन की जिम्मेदारी निभाई। कल्पकथा संस्थापिका दीदी श्रीमती राधाश्री शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।