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धर्म-कर्म करते चलो

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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सदा सत्य की राह पर, कदम बढ़े हर बार।
मानव सेवा धर्म हो, मन में शुद्ध विचार॥

तन मन तब शीतल बने, जब हो अच्छा कर्म।
सत्य मार्ग पर पाँव हो, यही बड़ा है धर्म॥

भाईचारा साथ हो, सबमें हो विश्वास।
नहीं बैर की भावना, सत्य राह की आस॥

सद्कर्मों से थाम लो, जीवन की पतवार।
सत्य राह चिंतन मनन, हो भवसागर पार॥

यह जग झूठा साथियों, सत्य राह है सार।
धर्म-कर्म करते चलो, भवसागर से पार॥

प्रखर बुद्धि अरु ज्ञान से, है करना है उपकार।
सदा सत्य की राह पर, चले सभी संसार॥

चलते-चलते तुम पथिक, राह न जाना भूल।
सत्य मार्ग पर चल सदा, बन कर सुन्दर फूल॥

क्या तेरा मेरा यहाँ, नहीं साथ में जाय।
सत्य नाम भगवान का, मेला दियो रचाय॥

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