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धर्म नहीं सिखाता दहशत

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)…

धर्म पूछ कर गोली दागना,
किस देश के संविधान में लिखा है ?
ओ आतंकवाद के आकाओं!,
तुमने यह पाप कहाँ से सीखा है ?

धर्म नहीं सिखाता दहशत फैलाना,
ये तो तुम्हारे जहन की खुराफातें हैं
बने फिरे जो धर्म के ठेकेदार हो तुम,
आदमी से आदमी को ही लड़ाते हैं।

पहलगाम की शहादत का बदला, लो,
भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ है
अब भी हद में गर रहना न सीखा तो,
फिर तबाही का मंज़र भी न दूर है।

अरे लड़ना है तो सेना से लड़ो दिलजलों,
बेगुनाह जनता का कहाँ कोई कसूर है ?

पर कायराना हरकत के आदी जो हो तुम,
निहत्थों पर वार करने के लिए मजबूर है
तुमने उजाड़ा जो सिन्दूर निहत्थों का,
तो हमने भी किया बदले में प्रहार है।

समझो मानवता के नापाक दुश्मनों,
यह न किसी की जीत हुई, न हार है
यह अदला-बदली का खेल है घिनौना,
तुमने ही की शुरूआत इसकी हर बार है।

भारत की शान्ति को क्रान्ति में न बदलो,

इस नफ़रत की आँधी में घना अंधकार है,
जो उकसा रहे हैं तुमको पीछे से,
वे खिलाड़ी है, शातिर चालाक हैं
वे हितैषी नहीं हैं तुम्हारे भी असली,
उनके इरादे लोलुप और नापाक हैं॥