सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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नन्हे-मुन्ने हैं सबसे प्यारे,
हँसते-गाते लगे न्यारे
मस्ती, मनमौजी कहलाते,
खेलकूद कर मन बहलाते।
नादान ये कितने होते,
आँख के तारे सबके होते
मोहिनी मूरत, सूरत भोली,
शैतानी कर, भोली बोली।
टीनू-मीनू बालक दो हैं,
चाँद-सा मुखड़ा, फूल दो हैं
निहारे चंद नजर चुराए,
लुका-छुपी खिलौना बताए।
मटक, ठुमक-ठुमक चलत सानी,
छपक-छपक कर चलते पानी
नन्हे-नन्हे कदमों से भागे,
घुंघरू बांध छम-छम भागे।
कभी लेते मन-के खिलौने,
कभी कसक भर गोरस दोने
मन से जो भी इन्हें बुलाएं,
रूठे चंद-पलों में मनाएं।
सर्व अला-बलाएं उतारें,
विघ्न-बाधा इनकी निबारे
नजर उतारे इनकी कोई,
छुप-छुप इन्हें सताए कोई।
अतिथि कोई हैं घर में आए,
अपनत्व जो कोई दिखाए
नेह स्वयं ही संग लगाते,
टुक-टुक अंक बिठा हँसाते।
तोतले बोल बोले मीठे,
झल्लाते चिढ़ते बोल रीठे
तुतलाना सब मन है भाए,
बार-बार दिल सुने सुनाए।
मन से दुआ सब इन्हें देते,
जुग-जुग जिएं आशीष लेते।
होशियार हों, खेलें कूदें,
फूल से महक खग नभ चूमें॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।