अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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भेदभाव के अंधेरे मिटाएँ,
नया उजाला हम लाएँ
जाति-धर्म के बंधन तोड़ें,
हर दिल में प्रेम ही जगाएँ।
न हो रंग का कोई फरक,
हो हर चेहरे में चाँद-सी चमक
अमीरी-गरीबी की ना हो दीवार,
सबको मिले समान महक।
लिंग, भाषा, रूप न देखो,
सिर्फ इंसानियत को देखो
हर हाथ को आगे बढ़ाओ,
सबमें समानता की लौ देखो।
एक दुनिया हो, एक हो जहाँ,
जहाँ नफरत हो, करें विरोध वहाँ
संग चलें हम, हाथ मिलाएँ,
‘शून्य भेदभाव दिवस’ हो fयहाँ।
भेदभाव से अब ना डरें,
मिलकर एक मिसाल गढ़ें।
नफरत की हर जंजीर तोड़ो,
बस प्रेम का नया गीत पढ़ें॥