दिल्ली
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प्रवासी भारतीय दिवस (९ जनवरी) विशेष…
‘प्रवासी भारतीय दिवस’ भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने के लिए हर साल ९ जनवरी को मनाया जाता है। यह दिवस भारत सरकार का एक प्रमुख, दूरगामी एवं उद्देश्यपूर्ण कार्यक्रम है, जो विदेशों में बसे भारतीयों को भारत के साथ जोड़ने और आपस में संवाद करने का मंच देता है, क्योंकि प्रवासी भारतीय आज वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण और विशिष्ट शक्ति बन गया है, जो हर क्षेत्र में एक ऊर्जावान और आत्मविश्वासी समुदाय के रूप में विकसित होकर भारत का गौरव बढ़ा रहा है एवं विभिन्न देशों में उच्च पदों पर स्थापित होेकर विश्व के मामलों में शानदार योगदान दे रहा है। प्रवासी भारतीयों ने असाधारण समर्पण, प्रतिभा कौशल, लगन और कड़ी मेहनत का प्रदर्शन करते हुए कला, साहित्य, संस्कृति, राजनीति, खेल, व्यवसाय, शिक्षा, फिल्म, विज्ञान परोपकार और प्रौद्योगिकी सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट बनने के लिए कई चुनौतियों को पार किया है।
दुनिया में सर्वाधिक प्रवासी भारतीय हैं। वर्तमान में खाड़ी देशों में लगभग ८.५ मिलियन भारतीय रहते हैं, जो दुनिया में प्रवासियों की सबसे बड़ी आबादी है। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग ४ मिलियन भारतीय हैं। यहाँ मैक्सिको के बाद भारतीयों की दूसरी सबसे अधिक आबादी है। इसके अतिरिक्त कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, नेपाल सहित अन्य देशों में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है। विदेशों में रहते हुए भी प्रवासी भारतीय अपने देश, अपनी माटी, अपनी संस्कृति एवं अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। आज की तारीख में भारतीय नयी शक्ति के तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर अपना लोहा मनवा चुके हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है, कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक पैसा भारतीयों ने अपने देश भेजा है। विश्व बैंक के आँकड़ों से पता चला है कि २०२४ में भारत को प्रवासी भारतीयों से १२९ बिलियन डॉलर का धन मिला है। यह अब तक का सबसे ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्रांति में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
नौकरी, उद्योग, व्यापार और दूसरे कई कारणों से अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में रहने वालों में भारतीयों की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और कई अन्य देशों में भारतीय वहां की सरकारों में मंत्री और सांसद तो निर्वाचित हुए ही हैं, बल्कि नीति निर्धारक विभागों में उच्च पदों पर आसीन हैं। भारतीयों की खासियत है कि वे जिस भी देश में गए, उन्होंने वहां की संस्कृति और संविधान को आत्मसात कर लिया और महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन वह भारत माता की माटी की सुगन्ध को नहीं भूले। उनकी रगों में भारत की संस्कृति एवं संस्कार रचे-बसे हैं।
प्रवासी भारतीयों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता एक वास्तविकता बन सकती है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के कोने-कोने में भारतवंशी और प्रवासी भारतीयों की राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती ऊँचाइयाँ भारत के तेज विकास के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गई हैं।
दुनिया के अनेक देशों में कई और भारतवंशी राजनेता अपने-अपने देशों को आगे बढ़ाते हुए विश्व के समक्ष भारत के चमकते हुए चेहरे हैं। साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी हैं और हरसंभव तरीके से भारत के विकास में अपना अहम योगदान देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों के लिए विदेशों की नयी संस्कृति में ढलकर इस तरह की सफलता हासिल करना आसान नहीं होता है। ऐसे विभिन्न क्षेत्रों के चमकते सितारे अपनी चमक का लाभ मातृभूमि भारत के लिए भी विस्तारित कर रहे हैं।
मातृभूमि की माटी की पुकार ऐसी होती है जो समय और दूरी की बाधाओं को नहीं देखती है। प्रवासी भारतीयों ने दुनिया के विभिन्न कोनों में अपने निवास के देशों में समृद्ध और उत्पादनशील जीवन का निर्माण किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए भरोसा दिलाना चाहा है, कि “भारत आर्थिक सुधारों की राह पर चल रहा है और भारत में निवेश तथा व्यापार करना पहले से कहीं आसान हो गया है, इसलिए भारत में पूंजी लगाने में वे तनिक न हिचकें।” भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है, इन सुखद स्थितियों में विदेशों में प्रवासी भारतीयों की स्थिति का मजबूत बनाना अच्छी बात है, पर देश में बदलते हालातों एवं नये बनते भारत में प्रवासी भारतीयों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होना अपेक्षित है।