सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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तिथि नवमी की आई,
सिद्धिदायिनी माँ
सुंदर-सी छवि माई।
कन्या लाँगुर आए,
पैरों को धो कर
आसन पर बैठाए।
चंदन, अक्षत, रोली,
मस्तक पर टीका
कर बाँधो मौली।
कन्या खाने आयीं,
हलवा और पूड़ी
उनके मन अति भायी।
उपहार दिए उनको,
जो उनको भाए।
फिर बिदा किया उनको॥