प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************
नई हवा है, नया वतन है।
नये वर्ष का, अभिनंदन है॥
नया-नया सा, अब मौसम है,
दूर हो गया, अब हर ग़म है।
जीवन अब तो, क्या आलम है,
हर शय में तो, दिखता दम है॥
नई दुआ है, नया चमन है,
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
देखो तो अब, नेह गान है,
मौसम में तो, नई आन है।
प्रकृति लुभाती, नव विहान है,
सुबह प्रीतिमय, रूपवान है॥
जय-जयकारा, नव वितान है,
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
नया वर्ष शुभ, नयी सहर है,
नवयुग आया, नवल लहर है।
महका हर पल, सुखद बहर है,
नयी बधाई, मरा ज़हर है॥
प्रमुदित तन मन, द्वेष शमन है,
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
शुभ है आया, मंगलमय सब,
जीवन शोभित, प्रमुदित है लब।
शुचिता से तो, महके नित शब,
सब अपने ही, प्यार बढ़े अब॥
मन है पावन, नित चंदन है,
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
नयी चेतना, हुआ मगन मन,
तेज भरा हो, साहस है तन।
हर्षित अंतर, गीत सुजीवन,
हो नैतिकता, प्रेम कथन में॥
स्वागत-वंदन, मन पावन है।
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
समय सजा है, मन हरसाया,
वर्ष प्रखर है, नव पल आया।
शुभ है धरती, मंगल छाया,
सब कुछ मोहक, मन भरमाया॥
चहूँओर तो, खुश हर जन है,
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
मादक वसुधा, नित जय-जय है,
प्रमुदित गिरिवर, अब ना क्षय है।
हर-हर करती, गायन लय है,
प्रेमातुर अब, यौवन वय है॥
समय वरद यह, घर-आँगन है,
नये वर्ष का, अभिनंदन है…॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।