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नववर्ष

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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नया उजाला-नए सपने…

नदी के तट पर बैठ कर,
कर रहा था मैं,चिंतन, मनन
नई उमंग नए जोश के साथ,
नववर्ष का करना है अभिनन्दन।

सहसा, प्रकट हुआ गत वर्ष,
काल के द्वार से निकल कर
विनम्र निवेदन करने लगा मुझसे,
मेरे कुछ वचन याद दिलाकर।

क्या हुआ जनाब उनका,
जो किए थे तुमने वादे
कुछ मुझसे, कुछ अपनों से,
और कुछ अपने-आपसे।

लिए थे निर्णय भी तुमने,
मेरे लिए,कुछ अपनों के लिए
कुछ स्वयं के लिए और,
कुछ गैरों की खुशी के लिए।

मैंने हँसकर कहा,सुनो,
वादे हैं वादों का क्या और
कुछ निर्णय ले भी लेते हैं,
तुमको इससे लेना क्या।

ये तरीका है दिल बहलाने का,
दस्तूर भी यही है जमाने का
ना सवाल करो तुम इन पर,
ये साधन है बरगलाने का।

उसने फिर से किया सवाल,
ये जो गले मे लटका हैं थैला
सच-सच बताना, ऐ जनाब,
इसमें क्या छिपा रखा है भला!

मैंने कहा, वही पुराना मसाला,
कुछ वादे,कुछ निर्णय,कुछ माला।
खैर, नववर्ष के इस अवसर पर,
जाओ तुम, महकने दो वर्ष माला॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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