सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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जगमग जीवन ज्योति (दीपावली विशेष)…
बन दीप ऐसा जल रे मन,
नव ज्योति का आह्वान हो
जीवन तिमिर में खोये जो,
उनका नवल निर्माण हो।
नव सृजन के लिए है ज़रूरी,
दृढ़ प्रतिज्ञावान हो
कर्तव्य पथ पर बढ़ चले,
मन में लगन और चाह हो।
घृत डाल कर स्नेह का,
भर दें हृदय के भाव को
दया ज्योति की लौ से मिटा दें,
राग-द्वेष-विकार को।
जले एक से एक दीप,
हर ले जो सकल संताप को
कुश कंटकीय पथों को,
ज्योतित कर बढ़ाए प्यार को।
कोई व्याधि से पीड़ित न हो,
कोई भूखा ना सोए कहीं
किसी घर का दीपक ना बुझे,
संघर्ष ना होये कहीं।
दीप आशा का लिए,
निज कर्म पथ निर्माण कर।
नैवेद्य शक्ति का लिए,
मनोकामना स्वीकार कर॥