बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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नारी है शक्ति का रूप अनूप,
हर रूप में लगती है न्यारी।
सृष्टि की है वह आधार रूप,
उसके त्याग के सब हैं पुजारी।
हर संघर्ष से लड़ती वह,
हर घर का श्रृंगार वह।
राष्ट्र की स्वाभिमानी वह,
करती हौसला अफजाई वह।
सृष्टि की आधार वह,
नारी शक्ति का रूप वह।
जो भी ठाने करती वह,
आतंकियों को जवाब देती वह।
दुर्गा, काली बन जाती वह,
सीमा पर रक्षा करती वह।
लक्ष्मी, पद्मावती बन जाती वह,
शक्ति का है अवतार वह॥