आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)
*******************************************
नारी है अवतार,हृदय में इसे बसाएँ।
जगती का आधार,प्रेम के पुष्प चढ़ाएँ॥
जीवन का उद्धार,जन्म देकर करती है।
मुश्किल कितनी होय,कर्म से ये बढ़ती है॥
कभी बहन बन जाय,प्रेम से घर को रखती।
दुख की होवें छाँव,धर्म के पथ पर चलती॥
देती हरपल साथ,हाल कैसा भी होवे।
मात-पिता का भार,निरंतर मन से ढोवे॥
बेटी फर्ज निभाय,काज में हाथ बँटाती।
सबका रखती ध्यान,प्रेम से धर्म निभाती॥
मातपिता का ध्यान,करे दे सेवा भारी।
दुख-सुख सह परिवार,जगत की वो अवतारी॥
पत्नी बनकर धर्म,निभाती है हर नारी।
सकल जगत में एक,मान की वो अधिकारी॥
सँभालती परिवार,श्रेय सब जाता इनको।
देवी का वरदान,दुखाना कभी न मन को॥
घर की होती नींव,यही है श्रेष्ठ सहारा।
नारी जीवन सार,एक है यही अधारा॥
रिश्तें रखती थाम, प्यार ममता बरसाती।
एकसूत्र में बाँध,प्रेम का पाठ पढ़ाती॥
परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”