डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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वो दर्दनाक रात,
जब दुनिया सो रही थी
एक पीजी कर रही डॉक्टर,
अपने छत्तीस घंटों की
कठिन ड्यूटी के बीच,
कुछ पल आराम के लिए
जब मेडिकल कॉलेज के,
सेमिनार हॉल मे गई तो…।
हमारे समाज के,
उन दरिंदों ने उस
मासूम बच्ची को,
बड़े ही निर्मम तरीके से
नोंच-नोंच कर अपनी,
वासना का शिकार बनाया
निर्दयता से उसका कत्ल करके
पूरे केस को आत्महत्या का जामा पहनाया।
कब तक होती रहेगी ?
हमारी बेटियाँ, बहुएं और बहनें
समाज की दरिंगदी का शिकार,
और हम बेबस होकर सहते रहेंगे घोर अत्याचार।
निर्भया जैसी हजारों बेटियों के लिए,
क्यों हर बार खटखटाने पड़ते हैं
न्याय के द्वार,
पर दस्तक सुन नहीं पाते समाज के ठेकेदार
मौत की सजा भी कम है ऐसे राक्षसों के लिए,
जो करते घातक हमले बार-बार।
बेटों को नारी का सम्मान,
करना सिखाना अनिवार्य है
गलत बढ़ावे का ये,
दुष्परिणाम भुगत रहे हैं हम।
अट्ठहत्तर वर्ष की ये कैसी,
आज़ादी मना रहे हैं हम ?
हर बार मौन रहकर कैसी,
न्याय की गुहार लगा रहे हम ?
‘रेप’ जैसी घिनौनी हरकत,
करने वाले को हर बार
आज़ाद करा रहे हैं हम ?
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।