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पत्थर को गढ़ देते आकार

मंजरी वी. महाजन
हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश)
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शिक्षक समाज का दर्पण…

हर छात्र के दिल में अपनी छाप छोड़ जाते,
कठिनाइयों के समय संजीवनी बन जाते।

संस्कार, संस्कृति, नीति, ज्ञान से परिपूर्ण,
आदर्श की मिसाल, शिक्षक है समाज का दर्पण।

समाज का हर बदलाव, हर उन्नति का आगाज़,
शिक्षक की मेहनत और योगदान का ही प्रभाव।

सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा के आदर्श,
कक्षा में है शिक्षक और जीवन में मार्गदर्शक।

न केवल पढ़ाते, अपितु जीने का तरीका भी सिखाते,
सच्चाई, ईमानदारी और मेहनत की कीमत भी समझाते।

पत्थर को गढ़ कर देते आकार,
करके उपकार मिटा देते सारे विकार।

गुरु ही साक्षात् परब्रह्म, ब्रह्मा, विष्णु, महेश,
हमेशा आगे बढ़ने का जो देते संदेश।

शिक्षक की नि:स्वार्थ सेवा उसकी सच्ची पहचान,
समर्पण और प्रेरणा का यथार्थ प्रमाण।

मनुष्य को बनाकर इंसान, पाया सबसे ऊँचा स्थान,
जिनके आशीर्वाद से बढ़कर न कोई सम्मान।

ज्ञान के सागर, अनुभव के भंडार, अमृत धाम,
करें उनका सम्मान, उन्हें शत्-शत् प्रणाम॥

परिचय-मंजरी वी. महाजन का जन्म स्थान नादौन (जिला हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश) और जन्म तारीख ३० सितम्बर १९७४ है। वर्तमान में हमीरपुर में ही स्थाई निवास है। साहित्यिक नाम ‘मंजरी’ से आप जानी जाती हैं। भाषा ज्ञान देखें तो हिंदी भाषा में अत्यधिक रुचि होने के कारण इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहती हैं। वैसे विज्ञान विषयों के अध्ययन के कारण इस भाषा में कोई विशेष उपाधि नहीं है। आपकी पूर्ण शिक्षा-एम.एस-सी. (वनस्पति विज्ञान) व एम.फिल. है। कार्यक्षेत्र में लगभग २३ वर्ष तक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में ११-१२ वीं के विद्यार्थियों को जीव विज्ञान पढ़ाने के उपरांत अब रा.व.मा.पा. भलेठ (हमीरपुर) में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप पर्यावरणविद् होकर शाला और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यरत हैं। मुम्बई स्थित सहारा अशासकीय संगठन के साथ वंचित विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने का काम भी कर रही हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए लेख लिखकर पुरस्कार जीत चुकी हैं, साथ ही कई समाचार-पत्र में भी लेखन जारी है। प्रकाशन की दृष्टि से विज्ञान विषयों से संबंधित आपके लेख ‘द ऑर्किड सोसायटी ऑफ़ इंडिया’ की पत्रिका में प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य सच्चाई से ओत-प्रोत भावनाओं को लेखनी के माध्यम से व्यक्त करना और समाज कल्याण में कार्य करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद हैं। मंजरी वी. महाजन के जीवन का लक्ष्य अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना व मानव जाति के उत्थान के लिए कार्य करना है। इनके लिए इनके पिता जी ही प्रेरणापुंज, आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। उनके अनुसार ज्ञानवर्धन के लिए पढ़ने और लिखने की कोई उम्र या समय निर्धारित नहीं होता। देश और हिंदी के प्रति विचार- “हिंदी मात्र अभिव्यक्ति या संचार का ही माध्यम नहीं, यह एक विचारधारा है। भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान है। हमें इसके संरक्षण, संवर्धन और प्रोत्साहन में हर प्रयास करना चाहिए।”