लोकार्पण-चर्चा…
दिल्ली।
इन ग़ज़लों में सकारात्मकता को रेखांकित किया गया है। ये ग़ज़लें यदि समस्या की ओर इशारा करती हैं, तो कहीं न कहीं समाधान भी सुझाती हैं और पाठक को एक नया हौसला देती हैं।
यह बात कवि-कथाकार रेणु हुसैन ने संग्रह की अनेक ग़ज़लों का उदाहरण देते हुए कही। यह अवसर रहा साहित्य अकादमी में पुस्तक प्रदर्शनी ‘पुस्तकायन’ में साहित्यिक आयोजनों की श्रृंखला में आद्विक प्रकाशन द्वारा प्रख्यात ग़ज़लकार लक्ष्मी शंकर वाजपेयी के ग़ज़ल संग्रह ‘अश्कों से लफ्जों तक’ के लोकार्पण एवं चर्चा कार्यक्रम का। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक उस्ताद शकील अहमद ने श्रीवास्तव वाजपेयी की एक मशहूर ग़ज़ल ‘पूरा परिवार एक कमरे में, कितने संसार एक कमरे में’ का गायन किया। श्री वाजपेई ने भी कुछ ग़ज़लों का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध समाजसेवी डॉ. मृदुला सतीश टंडन ने करते हुए कहा कि इन ग़ज़लों में भाषा के स्तर पर, शिल्प के स्तर पर, बिम्बों के स्तर पर एक नयी ताजगी, एक नयी कहन मिलती है। कथाकार जय प्रकाश पांडेय, प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर और अभिनेता-कवि रवि यादव ने भी कुछ शे’रों को उद्धृत करते हुए संग्रह को महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष अनिल जोशी, रंगकर्मी रमा पांडेय, फिल्म निर्माता नीलोफर, कश्मीरी लेखक रफीक मसूदी, ग़ज़लकार प्रेम बिहारी मिश्र व अनिल मीत आदि उपस्थित रहे।
प्रकाशन के संस्थापक अशोक गुप्ता ने धन्यवाद व्यक्त किया।