अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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उनकी साँसों से मेरी खुशियाँ (पिता दिवस विशेष)…
‘पिता’,
जीवन छाया
है मजबूत सहारा,
मेरी साँस
विश्वास।
‘पिता’,
हमारी नींव
बनाते मजबूत भवन,
हमारी जिंदगी
हमेशा।
‘पिता’,
अनूठा रिश्ता
आरम्भ से अंत,
देते हाथ
साथ।
‘पिता’,
दुःख पीते
बच्चों के लिए,
पहाड़ तोड़ते
कर्मठ।
‘पिता’,
रहते मौन
पीड़ा समझे कौन ?
भविष्य बनाते
चुपचाप।
‘पिता’,
जीवन स्तम्भ
सदा पिसते रहते,
हमारी खुशी
सपना।
‘पिता’,
नारियल जैसे
कौन समझा इनको ?
सबकी सुनते
धैर्यवान।
‘पिता’,
भला सोचते
करते स्वयं त्याग,
दुनिया अनजान
नायक।
‘पिता’,
प्रेम खजाना
संतान की प्रेरणा,
सम्वेदना पुंज
अतुलनीय।
‘पिता’,
आशियाना-सहारा
ममता का किनारा,
बैकुंठ द्वार
शिल्पकार।
‘पिता’,
रोपते संस्कार
बाँटते सदा खुशियाँ,
दुःख हरते
सम्बल।
‘पिता’,
लक्ष्य रौशनी
वक्त़ दें इनको,
करें वंदन
देवतुल्य॥