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पेड़ और पानी की कहानी

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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पर्यावरण दिवस विशेष…………..
पेड़ ने पानी से कहा-
एक दिन हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा,
न पानी रहेगा पेड़ों में देने को…
न पड़े रहेंगे हरियाली देने को।
पानी का दुरुपयोग रुकता नहीं है,
पेड़ों का कटना थमता नहीं है।
सभी पक्के घरों की चाह करते हैं,
फिर गर्मी आए तो पेड़ों को याद करते हैं,
काश! थोड़ी-सी छाया मिल जाए,
गला तर करने को थोड़ा सा पानी मिल जाए।
आने वाली पीढ़ी पेड़ों का दीदार न कर पाएगी,
पेड़ ना होंगे तो बरसात नहीं होगी…
बरसात नहीं होगी तो नदियों में जल नहीं होगा,
फिर कैसे धरती बच पाएगी ?

पानी,पेड़ से कहता है-
कह तो तुम सही रहे हो बंधु,
पर किसी को समझ में नहीं आता है।
ना पेड़ होगा ना पानी होगा,
तो प्रकृति से कैसे प्यार होगा ?
हरी-भरी धरती यह अपनी नीरस हो जाएगी,
पानी बचाओ पेड़ लगाओ…
यही सबको मिलकर सिखाते हैं॥

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।