ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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प्रकृति है जीवन दायिनी,
मत इसका तिरस्कार करो
वन-उपवन खेत-खलिहानों से,
धरती का श्रृंगार करो।
मत तोड़ो पुष्पों को,
मत तनों का नुक़सान करो
हरे-भरे पेड़ काटकर,
पर्वत मत सुनसान करो।
रंग-बिरंगी फुलवारी में,
ईश्वर का तुम ध्यान करो
दूर फेंक दो कुल्हाड़ी को,
जन-जन में विश्वास भरो।
प्रकृति ही ईश्वर है,
जीव-जंतुओं से प्यार करो
मत उनको हानि पहुंचाओ,
हृदय से सत्कार करो।
लहर-लहर लहराएं फसलें,
गरीबों का कल्याण करो।
भूखा कोई सो नहीं पाए,
अन्न का तुम दान करो॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।