कुल पृष्ठ दर्शन : 427

प्रतिस्पर्धा नहीं,अनुस्पर्धा करें

प्रिय बच्चों,
आप सभी किसी न किसी लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं,और आगे बढ़ने के लिए आप प्रतिस्पर्धा करते हैं,दूसरों से आगे जाने की होड़ में लगे रहते हैं। आप जीवन में कभी भी प्रतिस्पर्धा नहीं, अनुस्पर्धा करें। जब कभी भी हम प्रतिस्पर्धा करते हैं,तो तनाव होता है और तनाव में किए गए कार्य में कभी सफलता नहीं मिलती।
बच्चे पढ़ाई,खेलकूद एवं अन्य क्षेत्रों में अपने साथियों या सहपाठियों के साथ स्पर्धा करते हैं। प्रतिस्पर्धा में दूसरों से आगे निकलने के विचार मात्र से ही तनाव होता है,जिसके कारण बच्चे कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाते और निराशा के सागर में डूब जाते हैं।
बच्चों आपको प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहिए,क्योंकि सभी बच्चों की क्षमता अलग- अलग होती है। उनकी पारिवारिक परिस्थितियां, वातावरण,परवरिश,भौतिक संसाधन आदि भी भिन्न-भिन्न होते हैं,इसलिए सभी की उपलब्धि में भी अंतर होता है।
अतः प्रतिस्पर्धा नहीं,अनुस्पर्धा करो, अर्थात् स्वयं से स्पर्धा करो। आप स्वयं को पहचानो,स्वयं की ताकत को जानो। अपने-आप से स्पर्धा करो,स्वयं की क्षमता अनुसार कार्य करोl जिस स्तर पर आप हैं,अगली बार उस स्तर से स्वयं को आगे ले जाने का प्रयास करो। ऐसा करने से आपको तनाव नहीं होगा,एवं संतुष्टि भी मिलेगी। आप पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होगा और आप अपने निश्चित लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।
अनुस्पर्धा करने से आपको आपकी मंजिल अवश्य ही मिलेगी। एक बार आप प्रतिस्पर्धा नहीं,अनुस्पर्धा करके देखें,आप स्वयं को बदला हुआ महसूस करेंगे। आपकी सृजनात्मकता में निखार आएगा एवं हमेशा खुश रहेंगे।

बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ
आपकी शिक्षिका
एवं आपकी मित्र
डॉ. पूर्णिमा मंडलोई

Leave a Reply