राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
*******************************************
रंग बरसे… (होली विशेष)…
गली-मोहल्ले छा रही,
रंगों की बौछार
फागुन लेके आ गया,
मस्ती का त्योहार।
नर-नारी भीगे सभी,
मचा रहे हुड़दंग।
एक-दूजे को मल रहे,
अबीर-गुलाल रंग।
नैनों से बरसा रहे,
मादक रस फुहार।
फागुन लेके आ गया,
मस्ती का त्योहार…॥
गले मिलो सब प्यार से,
मैल दिलों के धो लो।
धोने से भी छूटे न,
ऐसे रंग तुम घोलो।
दिलों में बहती रहे,
प्रेम की रसधार।
फागुन लेके आ गया,
मस्ती का त्योहार…॥
रंग निराले होली के,
सबके मन को भाते।
छोटे-बड़े सभी को,
अपने गले लगाते।
ढोल, मंजीरा, डफ से
हो होली का सत्कार।
फागुन लेके आ गया,
मस्ती का त्योहार…॥
परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।